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क आ य क ज ऐ स कसन आज द कय थ? त ण इटल न! य व त क न ज कम ल दखल य, य आप उस ज नत ह? च न क न जव न ज कर रह ह, उस य आप र ज सम च र-प म नह पढ़त ह? य यह स क न जव न नह थ ज ह न सय क उ र क लए अपन ज न क ब न कर द थ? पछल शत द भर लग त र क वल सम जव द पच ब टन क अपर ध म स कड़ -हज र क स य म उ ह स इब रय म जल वतन कय गय थ, द त य क ज स ल ग क सफ इस लए ज ल म ब द कय गय क व सम जव द डब ट ग (बहस-म ब हस चल न व ल ) स स इट क सद य थ ब र-ब र उ ह न दमन क त फ न क स मन कय, ल कन उ ह न स हस नह ख य व स घषरत न जव न थ और सब जगह न जव न ह नडर ह कर बग र कस हच कच हट क और बग र(ल ब -च ड़ ) उ म द ब ध लड़ सकत ह और आज हम मह न स म व व क म तद त क दशन कर सकत ह जब क हम भ रतव स, हम य कर रह ह? प पल क एक ड ल ट टत ह ह द ओ क ध मक भ वन ए च टल ह उठत ह! ब त क त ड़न व ल म सलम न क त जय न मक क गज क ब त क क न फटत ह अ ल ह क क प ज ग उठत ह और फर वह न प क ह द ओ क ख न स कम कस व त स स त ट नह ह त! मन य क पश ओ स अ धक मह व दय ज न च हए, ल कन यह भ रत म ल ग प व पश क न म पर एक-द सर क सर फ ड़त ह हम र ब च और भ बह त स ल ग ह ज अपन आलस पन क अ तरर यत व द क नरथक बकव स क प छ छप त ह जब उनस अपन द श क स व करन क कह ज त ह त व कहत ह, ' म नज, हम ल ग जगत-ब ध ह और स वभ मक भ ईच र म व व स करत ह हम अ ज स नह झगड़न च हए व हम र भ ई ह ' य ख ब वच र ह, य ख बस रत श द वल ह! ल कन व इसक उलझ व क नह पकड़ प त स वभ मक भ ईच र क स त क म ग ह क मन य व र मन य क और र व र र क श षण अस भव बन दय ज य, सबक बग र कस भ द-भ व क सम न अवसर द न कय ज य भ रत म टश श सन इन सब ब त क ठ क उ ट ह और हम उसस कस क र क सर क र नह रखग अब द श द सम ज-स व क ब र म बह त स न क मन य स चत ह क सम ज-स व (उन स क चत अथ म जनम हम र द श म इस श द क य ग कय ज त ह और समझ ज त ह ) हम र सभ ब म रय क इल ज ह और द शस व क सबस अ छ तर क ह इस क र हम द खत ह क बह त स ईम नद र न जव न स र ज़ दग गर ब म अन ज ब टकर य ब म र क स व करक ह स त ट ह ज त ह य अ छ और आ म य ग ल ग ह ल कन व वह समझ प न म असमथ ह क भ रत म भ ख और ब म र क सम य क ख र त क म यम स हल नह कय ज सकत ध मक अ ध व व स और क रपन हम र ग त म बह त बड़ ब धक ह व हम र र त क र ड़ स बत ह ए ह और हम उनस हर ह लत म छ टक र प ल न च हए 'ज च ज आज द वच र क बद त नह कर सकत उस सम त ह ज न च हए ' इस क र क और भ बह त स कमज रय ह जन पर हम वजय प न ह ह द ओ क www.marxists.org/hindi/bhagat-singh/1928/naujawan-bharat-sabha.htm 3/7

द कय न स पन और क रपन, म सलम न क धम धत तथ द सर द श क त लग व और आम त र पर सभ स द य क ल ग क स क चत टक ण आ द ब त क वद श श हम श ल भ उठ त ह इस क म क लए सभ सम द य क तक र उ स ह व ल न जव न क आव यकत ह हमन क छ भ ह सल नह कय और हम कस भ उपल ध क लए क छ भ य ग करन क त य र नह ह स भ वत उपल ध म कस स द य क य ह स ह ग, यह तय करन म हम र न त आपस म झगड़ रह ह महज अपन ब ज दल क और आ म य ग क भ वन क अभ व क छप न क लए व असल सम य पर पद ड लकर नकल सम य ए खड़ कर रह ह यह आर मतलब र जन त ह डय क उन म भर ट कड़ पर आ ख गड़ य ब ठ ह ज ह, ज स उनक व व स ह, सश त श सकगण उनक स मन फक सकत ह यह बह त ह अपम नजनक ब त ह ज ल ग आज द क लड़ ई म बढ़कर आत ह व ब ठकर यह तय नह कर सकत क इतन य ग क ब द उनक क मय ब ह ग और उसम उ ह इतन ह स स न चत रहन च हए इस क र क ल ग कभ भ कस क र क य ग नह करत हम ऐस ल ग क आव यकत ह ज बग र उ म द क, नभय ह कर और बग र कस क र क हच कच हट क लड़न क त य र ह और बग र स म न क, बग र आ स बह न व ल क और बग र श तग न क म य क आ ल गन करन क त य र ह इस क र क उ स ह क अभ व म हम द म च व ल उस मह न य क नह लड़ सकग, जस हम लड़न ह यह य द म च व ल ह, य क हम एक तरफ अ द न श स लड़न ह और द सर तरफ ब हर द मन स हम र असल लड़ ई वय अपन अय यत ओ क खल फ ह हम र श और क छ हम र अपन ल ग नज व थ क लए उनक फ यद उठ त ह प ज ब क न जव न, द सर त क य वक अपन म ज -त ड़ प र म कर रह ह ब ग ल क न जव न न 3 फरवर क जस ज ग त तथ स गठन- मत क प रचय दय उसस हम सबक ल न च हए अपन तम म क ब नय क ब वज द हम र प ज ब क र जन तक त र पर पछड़ ह आ त कह ज त ह य? य क लड़ क क म ह न क ब वज द हम स ग ठत एव अन श सत नह ह हम त शल व व व य लय पर गव ह, ल कन आज हम र प स स क त क अभ व ह और स क त क लए उ चक ट क स ह य च हए, जसक स रचन स वक सत भ ष क अभ व म नह ह सकत द ख क ब त ह क आज हम र प स उनम स क छ भ नह ह द श क स मन उप थत उपर त न क सम ध न तल श करन क स थ-स थ हम अपन जनत क आन व ल मह न स घष क लए त य र करन पड़ ग हम र र जन तक लड़ ई 1857 क वत त स म क ठ क ब द स ह आर भ ह गय थ वह कई द र स ह कर ग जर च क ह ब सव शत द क आर भ स अ ज न करश ह न भ रत क त एक नय न त अपन य ह व हम र द श क प ज प त तथ न नप ज प त वग क सह लयत द कर उ ह अपन तरफ मल रह ह द न क हत एक ह रह ह भ रत म टश प ज क अ धक धक व श क अ नव यत यह प रण म ह ग नकट भ व य म बह त श हम उस वग क तथ उसक न त ओ क वद श श सक क स थ ज त द खग कस ग लम ज क स य इस क र क और कस स थ व र द न क ब च www.marxists.org/hindi/bhagat-singh/1928/naujawan-bharat-sabha.htm 4/7

समझ त ह ज य ग तब उनम श र और ल मड़ क ब च क र त नह रह ज य ग सम त भ रत य जनत क आन व ल मह न स घष क भय स आज द क इन तथ क थत प र क र क कत र क द र बग र कस समझ त क भ कम ह ज य ग द श क त य र करन क भ व क य म क श भ र भ इस आदश व य स ह ग - '' त जनत व र, जनत क हत म ' द सर श द म, 98 तशत क लए वर य वर य, जनत व र त ह नह, ब क जनत क लए भ यह एक बह त क ठन क म ह य य प हम र न त ओ न बह त स स झ व दय ह ल कन जनत क जग न क लए क ई य जन प श करक उसपर अमल करन क कस न भ स हस नह कय व त र म गय बग र हम यह द व स कह सकत ह क अपन उ य क प त क लए स नवय वक क भ त हम र हज र म ध व न जव न क अपन बह म य ज वन ग व म बत न पड़ ग और ल ग क समझ न पड़ ग क भ रत य त व तव म य ह ग उ ह समझ न पड़ ग क आन व ल त क मतलब क वल म लक क त द ल नह ह ग उसक अथ ह ग नय यव थ क ज म एक नय र जस त यह एक दन य एक वष क क म नह ह कई दशक क अ वत य आ मब लद न ह जनत क उस मह न क य क लए त पर कर सक ग और इस क य क क वल तक र य वक ह प र कर सकग तक र स अथ सफ एक बम और प त लव ल आदम स अ भ य नह ह य वक क स मन ज क म ह, वह क फ क ठन ह और उनक स धन बह त थ ड़ ह उनक म ग म बह त स ब ध ए भ आ सकत ह ल कन थ ड़ क त न ठ व न य तय क लगन उन पर वजय प सकत ह य वक क आग ज न च हए उनक स मन ज क ठन एव ब ध ओ स भर ह आ म ग ह, और उ ह ज मह न क य स प न करन ह, उस समझन ह ग उ ह अपन दल म यह ब त रख ल न च हए क 'सफलत म एक स य ग ह, जब क ब लद न एक नयम ह ' उनक ज वन अनवरत असफलत ओ क ज वन ह सकत ह ग ग व द स ह क आज वन जन न रक य प र थ तय क स मन करन पड़ थ, ह सकत ह उसस भ अ धक न रक य प र थ तय क स मन करन पड़ फर भ उ ह यह कहकर क अर, यह सब त म थ, प च त प नह करन ह ग न जव न द त, इतन बड़ लड़ ई म अपन आपक अक ल प कर हत श मत ह न अपन श त क पहच न अपन ऊपर भर स कर सफलत आपक ह धनह न, न सह य एव स धनह न अव थ म भ य आजम न क लए अपन प क घर स ब हर भ जत समय ज स ग र ब ड क मह न जनन न उसस ज श द कह थ (उ ह) य द रख उसन कह, 'दस म स न ब र एक न जव न क स थ ज सबस अ छ घटन ह सकत ह वह यह ह क उस जह ज क छत पर स सम म फक दय ज य त क वह त रकर य ड बकर वय अपन र त तय कर ' ण म ह उस म क, जसन य श द कह और ण म ह उन ल ग क ज इन श द पर अमल करग इत लव प न थ न क स व व न म जन न एक ब र कह थ, 'सभ मह न र य आ द लन क श भ र भ जनत क अ व य त य अनज न, ग र भ वश ल www.marxists.org/hindi/bhagat-singh/1928/naujawan-bharat-sabha.htm 5/7

य तय स ह त ह, जनक प स समय और ब ध ओ क परव ह न करन व ल व व स तथ इ छ -श त क अल व और क छ नह ह त ' ज वन क न क क ल गर उठ न द उस स गर क लहर पर त रन द और फर ल गर ठहर ह ए छछल प न म पड़त ह व त त और आ चयजनक स गर पर व व स कर जह व र हर समय त ज रहत ह और श तश ल ध र ए वत ह त ह वह अन य स, ऐ न जव न क ल बस स य क त ह र नय व व ह सकत ह मत हचक, अवत र क स त क ल कर अपन दम ग पर श न मत कर और उस त ह हत स हत मत करन द हर य त मह न ह सकत ह, बशत क वह कर अपन शह द क मत भ ल करत र स ह एक न जव न थ, फर भ ब स वष स कम क आय म ह द श क स व क लए आग बढ़कर म कर त ह ए व द म तरम क न र क स थ वह फ स क त त पर गय भ ई ब लम क द और अवध बह र द न न ह जब य य क लए ज वन दय त व न जव न थ व त मम स ह थ त ह भ व स ह ईम नद र, द शभ त और व स ह दल स आज द क य र करन व ल बनन क य स करन च हए, ज स क व ल ग थ स और ह श -हव स मत ख ओ, स हस और आश मत छ ड़ थरत और ढ़त क वभ व क प म अपन ओ न जव न क च हए क व वत य स त प वक, ग भ रत स, श त और स क स थ स च उ ह च हए क व भ रत य वत त क आदश क अपन ज वन क एकम ल य क प म अपन य उ ह अपन प र पर खड़ ह न च हए उ ह अपन आपक ब हर भ व स द र रहकर स ग ठत करन च हए उ ह च हए क म क र तथ ब ईम न ल ग क ह थ म न ख ल, जनक स थ उनक क ई सम नत नह ह और ज हर न ज क म क पर आदश क प र य ग कर द त ह उ ह च हए क स ज दग और ईम नद र क स थ 'स व, य ग, ब लद न' क अन करण य व य क प म अपन म गदशक बन य य द र खय क 'र नम ण क लए हज र अ त -प ष क ब लद न क आव यकत ह त ह ज अपन आर म व हत क म क बल, तथ अपन एव अपन यजन क ण क म क बल द श क अ धक च त करत ह ' (भगवत चरण व हर ब. ए., च रम 6-4 - 1 9 2 8 व द म त र म!, न जव न भ रत सभ व र अर ड़ व श स, ल ह र स म त एव क शत) आभ र : यह फ इल आर ह, ए-2/128, स टर-11, र हण, नई द ल 110085 व र क शत स कलन इ कल ब ज़ द ब द (स प दक : र ज श उप य य एव म क श म नस) क म ल फ इल स ल गय ह Date Written: April 1928 www.marxists.org/hindi/bhagat-singh/1928/naujawan-bharat-sabha.htm 6/7

Author: Bhagat Singh Title: Manifesto of Naujwan Bharat Sabha, Lahore( Naujawan Bharat Sabha Lahore ka Ghoshanapatra) Source: Manifesto of Naujwan Bharat Sabha, Punjab. Written by Bhagat Singh & Bhagawati Charan Vohra, dated 6-4-1928. The Sabha was an open organisation of the party. * Courtesy : This file has been taken from original file of Aarohi Books' publication Inquilab Zindadad A Collection of Essays by Bhagat Singh and his friends, edited by Rajesh Upadhyaya and Mukesh Manas. भगत स ह www.marxists.org/hindi/bhagat-singh/1928/naujawan-bharat-sabha.htm 7/7