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प्रतिलिपि:

Supreme Court of India

The India High Courts Act 1861 was enacted to create High Courts for various provinces and abolished Supreme Courts at Calcutta, Madras and Bombay and also the Sadar Adalats in Presidency towns. These High Courts had the distinction of being the highest Courts for all cases till the creation offederal Court of India under the Government of India Act 1935. The Federal Court had jurisdiction to solve disputes between provinces and federal states and hear appeal against Judgements from High Courts. After India attained independence in 1947, the Constitution of India came into being on 26 January 1950. भ रत क उच न य य लय अध ध यम 1861 क ध धभन न प त क धलए उच न य य लय ब क धलए अध ध यधमत धकय गय थ और कलकत त, मद र स और ब म ब म स च न य य लय क सम प त कर ध य गय थ और प स ड स शहर म स र अ लत क भ इ उच न य य लय क भ रत सरक र अध ध यम 1935 क तहत भ रत क न य य लय क ध म ण तक सभ म मल क धलए स च न य य लय ह क ग र प प त थ स घ य न य य लय क प स प त और स घ य र ज क ब च ध क हल कर और उच न य य लय स ध ण य क ख ल फ अप ल स क क ष त र ध क र थ 1947 म भ रत क स वत त रत धमल क ब, भ रत क स ध 26 ज र 1950 क अख त व म आय

The Supreme Court of India also came into existence and its first sitting was held on 28 January 1950. The law declared by the Supreme Court is binding on all Courts within the territory of India. It has power of judicial review to strike down the legislative and executive action contrary to the provisions and the scheme of the constitution, the distribution of power between Union and States or inimical to the fundamental rights guaranteed by the Constitution. भ रत क स च न य य लय भ अख त व म आय और इसक पहल ब ठक 28 ज र 1950 क ह ई स च न य य लय द व र घ ध त क भ रत क क ष त र क सभ न य य लय क धलए ब ध यक र ह इसम न य धयक सम क ष क शख ह - स ध क प और य ज क ध पर त ध य और क य क र क र ई क रद द कर क धलए, स घ और र ज क ब च शख क ध तरण य स ध द व र ग र ट क त म धलक अध क र क धलए

The Supreme Court (Articles 124-147) Article 124: Establishment and Constitution of Supreme Court (1) There shall be a Supreme Court of India consisting of a Chief Justice of India and, until Parliament by law prescribes a larger number, of not more than seven other Judges. (2) Every Judge of the Supreme Court shall be appointed by the President by warrant under his hand and seal after consultation with such of the Judges of the Supreme Court and of the High Courts in the States as the President may deem necessary for the purpose and shall hold office until he attains the age of sixty-five years: स प र म क र ट (अन च द 124-147) Article 124: सर व च न य य लय क स थ पन और स वर वध न (१) भ रत क एक म ख य न य य लय ह ग व सम भ रत क म ख य न य य ध श ह और ब तक क न न द व र स सद एक बड स ख य वनध टररत नह करत, स त स अवधक अन य न य य ध श क नह (2) सर व च न य य लय क प रत य क न य य ध श क र ष ट र पवत द व र उनक ह थ क तहत र व र र द व र वनय क त वकय एग और सर व च न य य लय क न य य ध श और र ज म उच न य य लय क पर मशट क ब द म हर लग ई एग क वक र ष ट र पवत इस प रय न क वलए आर वश यक ह सकत ह और ब तक र वह प सठ र वर ट क आय प र प त नह कर ल त, तब तक र वह पद पर रह ग :

Qualifications A person shall not be qualified for appointment as a judge of the Supreme Court unless he is a citizen of India and has been for a least 5 years a judge of a High Court or of two or more such Courts in succession or has been for at least 10 years an advocate of a High Court or of two or more such courts in succession-or is in the opinion of the President, a distinguished jurist. All appointee in general case can hold office till 65 years of age. य ग यत एक व यक तक त क सर व च न य य लय क न य य ध श क र प म वनय क तक त क वलए य ग य नह म न एग ब तक वक र वह भ रत क न गररक न ह कम स कम 5 स ल क वलए उच न य य लय क न य य ध श ह कम स कम 10 र वर स उच न य य लय क एक र वक ल य उत तर वधक र म द य द स अवधक ऐस अद लत क अवधर वक त ह र ष ट र पवत, क र य म प रवतव त न य यवर वद ह स म न य क तस थवत म सभ वनय क तक तय 65 र वर ट क आय तक पद ध रण कर सकत ह

(4) A Judge of the Supreme Court shall not be removed from his office except by an order of the President passed after an address by each House of Parliament supported by a majority of the total membership of that House and by a majority of not less than two-thirds of the members of that House present and voting has been presented to the President in the same session for such removal on the ground of proved misbehaviour or incapacity (४) स च न य य लय क एक न य य श क उसक क य लय स ह हट य ज एग, धस य र ष ट र पधत क एक आ श क धक स स क प त य क स द व र उस स क क ल स स यत क बह मत स एक स ब क ब प ररत धकय ज ए और बह मत स कम ह उस स क -धतह ई स स य क म ज ग और मत क स धबत ह ए र व ह र य अक षमत क आ र पर हट क धलए उस सत र म र ष ट र पधत क प त धकय गय ह

Every person appointed to be a Judge of the Supreme Court shall, before he enters upon his office, make and subscribe before the President Article 125: Salaries, etc., of Judges (1) There shall be paid to the Judges of the Supreme Court such salaries as may be determined by Parliament by law and, until provision in that behalf is so made, such salaries as are specified in the Second Schedule सर व च न य य लय क न य य ध श क र प म वनय क त वकय न र व ल प रत य क व यक तक त क र ष ट र पवत क समक ष शपथ ल न ह ग अन च द 125: न य य ध श क र व तन आवद (1) उच तम न य य लय क न य य ध श क र व तन वदय एग स वक क न न द व र स सद द व र वनध टररत वकय सकत ह और ब तक वक इसम प र र वध न नह वकय त ह, तब तक इस तरह क र व तन द सर अन स च म वनवदटष ट ह त ह

Article 126: Appointment of acting Chief Justice When the office of Chief Justice of India is vacant or when the Chief Justice is, by reason of absence or otherwise, unable to perform the duties of his office, the duties of the office shall be performed by such one of the other Judges of the Court as the President may appoint for the purpose. Article 127: Appointment of ad hoc Judges (1) If at any time there should not be a quorum of the Judges of the Supreme Court available to hold or continue any session of the Court, the Chief Justice of India may, with the previous consent of the President and after consultation with the Chief Justice of the High Court concerned. अन च द 126: क यटर व हक म ख य न य य ध श क वनय क तक त ब भ रत क म ख य न य य ध श क पद ख ल ह त ह य ब म ख य न य य ध श अन पक तस थवत क क रण य अन यथ, अपन पद क कतटव य क प लन करन म असमथट ह त ह, त क य टलय क कतटव य क प रदशटन ऐस अन य न य य ध श म स एक द व र वकय एग न य य लय र ष ट र पवत क र प म इस उद द श य क वलए वनय क तक त कर सकत ह अन च द 127: तदथट न य य ध श क वनय क तक त (१) यवद वकस भ समय उच तम न य य लय क न य य ध श क क रम प र नह ह य न य य लय क वकस भ सत र क र रखन क वलए उपलब ध ह, त भ रत क म ख य न य य ध श र ष ट र पवत क सहमवत स ब वधत उच न य य लय क म ख य न य य ध श क पर मशट क ब द कर सकत ह

Article 129: Supreme Court to be a court of record The Supreme Court shall be a court of record and shall have all the powers of such a court including the power to punish for contempt of itself. Article 130: Seat of Supreme Court The Supreme Court shall sit in Delhi or in such other place or places, as the Chief Justice of India may, with the approval of the President, from time to time, appoint. Article 131: Original jurisdiction of the Supreme Court Subject to the provisions of this Constitution, the Supreme Court shall, to the exclusion of any other court, have original jurisdiction in any dispute (a) between the Government of India and one or more States; or (b) between the Government of India and any State of States on one side and one or more other States on the other; or (c) between two or more States. अ च 129: स च न य य लय क अधभल न य यलय ह स च न य य लय ररक ड क एक अ लत ह ग और इस तरह क अ लत क सभ शख य ह ग धजसम स वय क अ म क धलए धडत कर क शख भ श धमल ह अ च 130: स प म क ट क स ट स च न य य लय ध ल ल म य ऐस अन य स थ य स थ पर ब ठ ग, जह भ रत क म ख य न य य श र ष ट र पधत क म ज र क स थ समय-समय पर ध य ख कर सकत ह अ च 131: स च न य य लय क म ल अध क र क ष त र इस स ध क प क अ, स च न य य लय धकस भ अन य अ लत क बधहष क र क धलए, धकस भ ध म म ल अध क र क ष त र ह ग - (ए) भ रत सरक र और एक य अध क र ज क ब च; य ( ) भ रत सरक र और धकस भ र ज क ब च एक तरफ और सर र ज म एक य अध क र ज ; य (c) य अध क र ज क ब च

Article 134: Appellate jurisdiction of Supreme Court in regard to criminal matters. Article 137: Review of judgements or orders by the Supreme Court Subject to the provisions of any law made by Parliament or any rules made under article 145, the Supreme Court shall have power to review any judgment pronounced or order made by it. Article 141: Law declared by Supreme Court to be binding on all courts The law declared by the Supreme Court shall be binding on all courts within the territory of India. Article 143: Power of President to consult Supreme Court. Article 144: Civil and judicial authorities to act in aid of the Supreme Court All authorities, civil and judicial, in the territory of India shall act in aid of the Supreme Court. अ च 134: आपर ध क म मल क स ब म स च न य य लय क अप ल क ष त र ध क र अ च 137: स च न य य लय द व र ध ण य य आ श क सम क ष स स द व र ब ए गए धकस भ क क प य अ च 145 क तहत ब ए गए धकस भ ध यम क अ, स च न य य लय क प स धकस भ ध ण य य उसक द व र ध ए गए आ श क सम क ष कर क शख ह ग अ च 141: स च न य य लय द व र घ ध त क सभ अ लत क धलए ब ध यक र ह स च न य य लय द व र घ ध त क भ रत क क ष त र क भ तर सभ अ लत क धलए ब ध यक र ह ग अ च 143: स च न य य लय स पर मश कर क र ष ट र पधत क शख अ च 144: स च न य य लय क सह यत क धलए क य कर क धलए गररक और न य धयक अध क र भ रत क क ष त र म सभ अध क र, गररक और न य धयक, स च न य य लय क सह यत म क य कर ग

Writ Jurisdiction: Article 32 imposes duty on the Supreme Court to enforce the Fundamental rights. Under this Article, every individual has a right to move the Supreme Court directly if there has been any infringement on his Fundamental Rights. The writ Jurisdiction sometimes is referred to as the Original Jurisdiction of the Supreme Court, but in the strict sense, Original Jurisdiction relates to the federal character of the Constitution. Revisory Jurisdiction: The Supreme Court under Article 137 is empowered to review an judgment or order made by it with a view to remove any mistake or error that might have crept in the judgment or orders. This means that even though all the judgments and order passed by Supreme Court are binding an all courts of India, they are not binding on the Supreme Court. ररट अध क ररत अ च 32 म धलक अध क र क ल ग कर क धलए स प म क ट क अध क र त ह इस अ च क तहत, प त य क र व ख क यह अध क र ह धक अगर उसक म धलक अध क र क उल ल घ ह त ह, त उस स स प म क ट म ज क अध क र ह ररट क ष त र ध क र कभ -कभ स प म क ट क म ल क ष त र ध क र क र प म स धभ त धकय ज त ह, ल धक स फ़ शब म, म ल आध क ररत स ध क स घ य चररत र स स ब ध त ह स श क ष त र ध क र: अ च 137 क तहत स च न य य लय क धकस भ गलत य त र धट क र कर क उद द श य स धकस ध ण य य आ श क सम क ष कर क अध क र ह, ज ध ण य य आ श म रद द ह सकत ह इसक मतलब यह ह धक भल ह स प म क ट द व र प ररत सभ ध ण य और आ श भ रत क सभ न य य लय क धलए ब ध यक र ह ल धक स प म क ट क धलए ब ध यक र ह ह